Vijay Mallya, एक ऐसा नाम जो कभी भारत की लग्ज़री एयरलाइन इंडस्ट्री का चेहरा था, और अब विवादों में फंसा हुआ एक नाम बन गया है। और पहली बार विजय माल्या ने ये लाइव पॉडकास्ट किया है । किंगफिशर एयरलाइंस के गिरावट के पीछे की सच्चाई पर आज भी बहस होती है। लेकिन हाल ही में हुए पॉडकास्ट में राज शमानी के साथ, माल्या ने खुद अपने शब्दों में पूरी कहानी बताई जिसने कई मीडिया नैरेटिव्स को चुनौती दी है।और इस पॉडकास्ट के बाद शायद ही कही लोगों के बीच अलग भूमिका दिखाई दे रही है विजय माल्या की की
किफायती दाम और लग्जरी से झुंजते किंगफिशर एयरलाइंस: सपनो संकट तक
Vijay Mallya ने किंगफिशर को एक प्रीमियम एयरलाइन के रूप में शुरू किया था, लेकिन बाद में यह एक वित्तीय संकट का शिकार हो गई। इस पॉडकास्ट में उन्होंने बताया कि इस गिरावट के पीछे कई अंतरराष्ट्रीय और सरकारी कारण थे। और कुछ उनकी नीतियां थी जो एक नॉर्मल दाम पे लग्जरी अनुभव देने का प्रयास थोड़ा महंगा पड़ा उसी के चलते जो पहले से घाटे में चली एयर लाइन
क्या कारण था जो इतनी बड़ी एयर लाइन कंपनी कर्जे में डूब गई?ग्लोबल फाइनेंशियल क्राइसिस और बढ़ती फ्यूल कॉस्ट
अपनी कंपनी के बारे में माल्या जी ने कई सारे बाते जो आज तक किसी भी मीडिया और किसी भी अखबार में देखी नहीं दी और बताई नहीं गई जो इस पॉडकास्ट में रिवील हो गई है। विजय माल्या के अनुसार, 2008 में जब जगभर में आर्थिक मंदी का मौसम छा गया था तब कई सारे बड़े उद्योगों को बड़ा झटका लगा था शेयर मार्केट पुरी तरह डूब गया था , खासकर लेहमन ब्रदर्स के पतन ने भारत की एविएशन इंडस्ट्री को जबरदस्त झटका दिया।
उन्होंने बताया कि कच्चे तेल की कीमतें $60 से बढ़कर $140 प्रति बैरल हो गईं जिससे Aviation Turbine Fuel (ATF) की लागत में भारी वृद्धि हुई।
भारत में राज्य सरकारों द्वारा ATF पर लगाया गया “ad valorem” टैक्स, कंपनी की लागत को और भी असहनीय बना गया। उन्होंने इसे केंद्र कर में बदलवाने की कोशिश की थी लेकिन असफल रहे।
भारत सरकार की नीतियों और हस्तक्षेप की भूमिका के कारण नहीं कर पाएं बदलाव
2008 में जब माल्या ने किंगफिशर को छोटा करने और कर्मचारियों की छंटनी का सुझाव वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी को दिया, तो उन्हें कहा गया:
“आप चालू रखें, बैंक आपको सहयोग करेंगे।”
इसके बाद, विदेशी निवेश पर प्रतिबंध के कारण Etihad Airways द्वारा निवेश का प्रस्ताव भी सरकार द्वारा खारिज कर दिया गया, जबकि Jet Airways को कुछ महीने बाद मंजूरी दे दी गई।
इस पॉडकास्ट में। विजय माल्या जी ने एक बड़ी बात बोली है और कई सारे लोग इससे सेहमत भी है।
“भारत में व्यापार करना सबसे बड़ा संघर्ष सरकारी नीतियों से होता है।”
एयर डेक्कन का अधिग्रहण और बिज़नेस मॉडल
Air Deccan को खरीदने का फैसला एक रणनीतिक कदम था, जिससे मार्केट कंसोलिडेशन और “वन रुपया टिकट” जैसे डिसरप्शन को रोका जा सके।
एयरक्राफ्ट और पायलट समान होने से उन्हें इंजीनियरिंग स्केल में फायदा मिला।
किंगफिशर को शुरू में लो-कॉस्ट एयरलाइन के रूप में लॉन्च किया गया था, जिसमें इनफ्लाइट एंटरटेनमेंट और फूड जैसी सुविधाएं थीं। बाद में बिजनेस क्लास “Kingfisher First” जोड़ा गया।
उन्होंने कहा कि आज की इंडिगो भी वही मॉडल अपना रही है।
विजय माल्या के अनुसार कैश फ्लो संकट और कर्मचारियों का बकाया वेतन बैंक ने रोका मैंने नहीं
कई सारी गलतियां और कंपनी की वर्किंग कैपिटल में समस्या आने से ऑयल बिल, एयरपोर्ट चार्जेस और कैटरिंग जैसी सेवाओं का भुगतान नहीं हो पाया।
विजय माल्या के अनुसार, 260 करोड़ रुपये की कंपनी की राशि कर्नाटक हाई कोर्ट द्वारा फ्रीज़ कर दी गई थी, और बैंक ने वेतन भुगतान के लिए पैसे रिलीज़ करने पर आपत्ति जताई थी।
उन्होंने कर्मचारियों से माफ़ी मांगते हुए कहा:
“कंपनी के पास पैसे नहीं थे, लेकिन मैं माफ़ी चाहता हूँ।”
आरोपों पर सफाई और रिकवरी के दावे
माल्या ने कहा कि उन्होंने खुद 3,000 करोड़ रुपये अपने ग्रुप से किंगफिशर में लगाए और पर्सनल गारंटी दी।
2012 से 2015 के बीच चार सेटलमेंट ऑफर बैंक को दिए, जिन्हें अस्वीकार कर दिया गया।
वित्त मंत्रालय द्वारा संसद में दिए गए बयान के अनुसार, 14,131.66 करोड़ रुपये रिकवर किए जा चुके हैं — जो मूल बकाया (6,203 करोड़) से कहीं अधिक है।
बावजूद इसके, बैंक स्टेटमेंट ऑफ अकाउंट नहीं दे रहे हैं, जिस पर उन्होंने हाई कोर्ट में याचिका दायर की है।
उन्होंने सभी आरोपों को बेसलेस बताया और कहा कि कोई मनी लॉन्ड्रिंग या गलत निवेश नहीं किया गया।
अमीर खान की सितारे जमीन पर ने किया रिकॉर्ड सलमान खान पोहचे फिल्म के प्रमोशन के लिये
मीडिया ट्रायल और “भगोड़ा” टैग मिला भारत की और से मगर क्या है सच्चाई
माल्या ने मीडिया पर “विच हंट” चलाने का आरोप लगाया, जिसने उन्हें “भगोड़ा”, “धोखेबाज़”, और “चोर” करार दिया।
उन्होंने कहा कि वे Geneva के लिए पहले से शेड्यूल की गई यात्रा पर निकले थे और वित्त मंत्री अरुण जेटली को सूचित किया था।
माल्या 1992 से UK के परमानेंट रेसिडेंट हैं और 180 दिन से अधिक भारत में नहीं रह सकते थे।जो उनके फ़ाइनन्स की बाजू देख सही था टैक्स से छुटकारा मिलने के लिए ये सही रास्ता था।
उनका पासपोर्ट भारत सरकार द्वारा रद्द किया गया, जिससे उनकी वापसी असंभव हो गई।
वह आज भी वापस आने के लिए तैयार हैं यदि उन्हें निष्पक्ष सुनवाई और सम्मानजनक जीवन का भरोसा दिया जाए।
Vijay Mallya की यह बातचीत एक नई रोशनी में किंगफिशर एयरलाइंस की विफलता को देखती है। इस पॉडकास्ट के ज़रिए उन्होंने न केवल अपने फैसलों की जिम्मेदारी ली, बल्कि उन राजनीतिक और नीतिगत फैसलों पर भी उंगली उठाई जो एक समय की चमकदार एयरलाइन को गर्त में ले गए।
भारत की ऐसे ही कई सारे बातें जानने के लिए हमसे जुड़े रहिये Hinditazatime.com
[…] […]